ईश्वर के सच्चे स्वरूप की उपलब्धि का प्रमुख स्रोत : सत्यार्थप्रकाश
संसार में ईश्वर की सत्ता में विश्वास रखने वाले और न रखने वाले दोनों प्रकार के मनुष्य निवास करते
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Read Moreजला रहा है कौन सहारनपुर बस्ती को, कभी दलित कभी ठाकुरों की हस्ती को। साध रहा है कौन लक्ष्य होकर
Read Moreअजीब आरजू , जिंदगी की । कैसी फितरत है , ये ! रचना ।। सीख चुके , दर्द से उभर
Read Moreकट गए तब , हर रिश्तों से । हर दिल मे , जब फरेब देखा ।। रिश्तों के मायने ,
Read Moreखुबसूरत रचना का , गुनाह ही क्या था ? सुलझी थी , वो ! मगर किसी ने समझा न था
Read Moreउन रंगीन महफिँलो की , नुमाइश बनके रह गई औरत । मिलती आज , हर गली नुक्कड़ चौराहेँ पे तबायफ
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