मुक्तक (बेख़बर देहलवी)
मुक्तक
सच में ऊबे हम इन यारानों से
लोग अब पलटने लगे ज़बानों से
रिश्ते मतलब से यहाँ बनाते हैं
जरा बचो तुम इन्ही मेहमानों से ।।
बेख़बर देहलवी
मुक्तक
सच में ऊबे हम इन यारानों से
लोग अब पलटने लगे ज़बानों से
रिश्ते मतलब से यहाँ बनाते हैं
जरा बचो तुम इन्ही मेहमानों से ।।
बेख़बर देहलवी