मुक्तक/दोहा

मुक्तक (बेख़बर देहलवी)

मुक्तक

दिलबर  तिरे बगैर  मैं जी  नहीं सकता
ज़हर जुदाई  का  और  पी  नहीं सकता
ज़िन्दगी की चादर भी इतनी फट चली
बिना  तेरे  साथ  इसे  सी  नहीं  सकता !!

बेख़बर देहलवी

बेख़बर देहलवी

नाम-विनोद कुमार गुप्ता साहित्यिक नाम- बेख़बर देहलवी लेखन-गीत,गजल,कविता और सामाजिक लेख विधा-श्रंगार, वियोग, ओज उपलब्धि-गगन स्वर हिन्दी सम्मान 2014 हीयूमिनिटी अचीवर्स अवार्ड 2016 पूरे भारत मे लगभग 500 कविताओं और लेख का प्रकाशन