शिशुगीत

शिशुगीत

  1. फूल

फूल खड़े रहते मुस्काते
दे रस मीठा मधु बनवाते
फ्रेंड इन्हीं की तितलीरानी
रोज सुनाती नयी कहानी
खुशबू-खुशबू हरदिन खेलें
इक-दूजे को पकड़ें-ठेलें
आँधी आती तो डर जाते
पत्तों में जाकर छिप जाते

 

2. रूठी बिटिया

रूठी बिटिया, चलों मनाएँ
उसके मन की चीजें लाएँ
गाएँ मीठे-मीठे गाने
चिड़िया आयी दाने खाने
चूहा दौड़ा, बिल्ली भागी
हल्ला सुनकर दादी जागी
उसने ऐसी कही कहानी
लगी झूमने बिटिया रानी

 

 

*कुमार गौरव अजीतेन्दु

शिक्षा - स्नातक, कार्यक्षेत्र - स्वतंत्र लेखन, साहित्य लिखने-पढने में रुचि, एक एकल हाइकु संकलन "मुक्त उड़ान", चार संयुक्त कविता संकलन "पावनी, त्रिसुगंधि, काव्यशाला व काव्यसुगंध" तथा एक संयुक्त लघुकथा संकलन "सृजन सागर" प्रकाशित, इसके अलावा नियमित रूप से विभिन्न प्रिंट और अंतरजाल पत्र-पत्रिकाओंपर रचनाओं का प्रकाशन