भजन/भावगीत

कभी तो आओगे गोपाल मेरे अंगना

कभी तो आओगे गोपाल मेरे अंगना
गोपाल मेरे अंगना, गोपाल मेरे अंगना- कभी तो आओगे-

 

1.हीरों का मैं मुकुट मंगाऊं
उस पर मोर का पंख लगाऊं
शीश पे सजाओगे गोपाल मेरे अंगना- कभी तो आओगे-

 

2.चुन-चुन गेंदा-गुलाब मंगाऊं
प्रेम से माला मैं बनवाऊं
कंठ पे सजाओगे गोपाल मेरे अंगना- कभी तो आओगे-

 

3.दूध मांगाऊं दही मंगाऊं
माखन-मिश्री भी ले आऊं
आके भोग लगाओगे गोपाल मेरे अंगना- कभी तो आओगे-

 

4.सोने का मैं दीप मंगाऊं
प्रेम की बाती उसमें सजाऊं
आके जोत जलाओगे गोपाल मेरे अंगना- कभी तो आओगे-

 

5.गोपी-ग्वालों को बुलवाऊं
बंसी में हीरे जडवाऊं
आके बंसी बजाओगे गोपाल मेरे अंगना- कभी तो आओगे-

 

6.जनम-जनम की प्यास जगी है
तेरे मिलन की आस लगी है
दर्शन दिखलाओगे गोपाल मेरे अंगना- कभी तो आओगे-

 

(तर्ज़-मैय्या जी तेरा प्यार, प्यार सच्ची मुच्ची का—————-)

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244