कविता

आंसू की बूंद…..

आज सोच रही थी तुम्हें
उतने में
चुपके से बाए आँख के पोर से
एक आंसू की बूँद जैसे
खुद रोते हुए
मेरी हथेली पर आ गिरी
जैसे कह रही हो मुझे
मेरा ही दोष है
की आज तुम्हारे आँखों में आंसू है
जैसे कह रही हो जब तक
चुप न करा लूँ तुम्हें
तुम्हारी हथेली से
फिसलकर बहुंगी नहीं
आज मुझसे
मेरे अस्तित्व की लड़ाई है
हर बार मैं तुम्हें
रुलाने हीआई हूँ
ये मेरी बदकिस्मती है
लेकिन आज मैं तुम्हारे दर्द को
कम करना चाहती हूँ
जैसे कह रही हो
हाँ मैंने देखा है तुम्हारी आँखों में
सच्चा प्यार
जिसके लिए तुमने हमेशा
ईश्वर से की है प्रार्थना
मेरे प्यार पर न आये कोई आंच
उसका हर दर्द गुजरे मुझे छूकर
जैसे कह रही हो
मैं आंसू की एक बूंद टूटकर
बिखरने से पहले
तुम्हारी हमदर्द बनकर
पोंछ देना चाहती हूँ तुम्हारे आंसू।

*बबली सिन्हा

गाज़ियाबाद (यूपी) मोबाइल- 9013965625, 9868103295 ईमेल- bablisinha911@gmail.com