मुक्तक/दोहा

“मुक्तक”

यहीं पर था सरोवर एक पानी पी गए कौए

नए जोड़े मिले थे दो किनारे खो गए हौए

बड़े पोखर मिला करते लिए अपनी तलैया को

अभी की हाल देखो तो सुराही पी गए पौए॥

बहुत पैमाल है पानी पियासे होठ तट मिनके

कहाँ पर नाव चलवाऊ यहाँ मिलते नहीं तिनके

भरे गोदाम हैं कचरे अहमियत भी मिटा डाले

कहीं यदि हाथ लग जाये भली नव नाक नथ भिनके॥

महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी

*महातम मिश्र

शीर्षक- महातम मिश्रा के मन की आवाज जन्म तारीख- नौ दिसंबर उन्नीस सौ अट्ठावन जन्म भूमी- ग्राम- भरसी, गोरखपुर, उ.प्र. हाल- अहमदाबाद में भारत सरकार में सेवारत हूँ