राजनीति

देश के शत्रुओं का भांडाफोड़

आर्य लोग विदेशी आक्रमणकारी थे। उन्होंने यहाँ पर आकर मूलनिवासियों के साथ युद्ध किया, उन्हें मारा, हराया, उनकी औरतों के साथ विवाह किया और बच्चे किये। न जाने कितनी मनगढ़त कल्पनाएं। इसे हम बौद्धिक कचरा फैलाना कहे तो अतिश्योक्ति नहीं होगी। इस मनगढ़त कल्पना का लाभ पहले अंग्रेजों ने उठाया, फिर द्रविड़-आर्य के नाम पर गन्दी राजनीती करने वाले दक्षिण भारतीय नेताओं ने उठाया। आज मूलनिवासी-आर्य विदेशी के नाम पर दलित राजनीती करने वाले उठा रहे है। पिछले दिनों द हिन्दू अख़बार में टोनी जोसफ लेखक ने अमेरिका के जेनेटिक स्टडीज के शोध पत्र के आधार पर यह सिद्ध करने का असफल प्रयास किया कि आर्य विदेशी थे। उनके इस लेख में अनेक विसंगतियां, जुठ और फरेब था। जिन्हें पढ़कर पाठक यही निष्कर्ष निकालेंगे कि यह आदमी फर्जी हैं। अमेरिका में रहने वाले वैज्ञानिक श्री अनिल कुमार सूरी एवं ब्रेकिंग इंडिया पुस्तक के सह लेखक अरविंदन नीलकंदन ने दो लेखों का लेखन कर टोनी जोसफ की चोरी पकड़ी है। दिलीप सी मंडल सरीखे बिके हुए पत्रकारों ने टोनी जोसफ के लेख को सोशल मीडिया में खूब प्रचारित किया है। आपको जानकर अच्चम्भा होगा दलित राजनीती करने वाली पार्टियों ने कुछ पक्षपाती वैज्ञानिकों को आर्यों को विदेशी दिखाने के लिए जबरदस्त फंडिंग भी की है।
 
इसके विपरीत हिन्दू समाज जो ठीक वैसे ही सो रहा है जैसा 1200 वर्षों से सोता आया है। मैं अपने सीमित साधनों से इस सुनियोजित अंतर्राष्ट्रीय षड़यंत्र को असफल बनाने वाले लेखकों की प्रशंसा करना चाहूंगा। उन्होंने इन देश के शत्रुओं का भंडाफोड़ किया।
 
लेख अंग्रेजी में है। शोध पत्र होने के कारण मेडिकल टर्मिनोलॉजी का प्रयोग होना अपेक्षित हैं। गंभीर पाठकों को पहले टोनी जोसफ, फिर अनिल सूरी और अंत में अरविंदन के लेख को पढ़कर अपना ज्ञानवर्धन अवश्य करना चाहिए। मैं नीचे तीनों लेखकों के लिंक दे रहा हूँ।
 
डॉ विवेक आर्य
 
Here We Go Again: Why They Are Wrong About The Aryan Migration Debate This Time As Well-Aravindan Neelakandan
 
 
Genetics Might Be Settling The Aryan Migration Debate, But Not How Left-Liberals Believe-Anil Kumar
 
 
How genetics is settling the Aryan migration debate: Tony Joseph