“पावन छंद”
नाचत हिरन वहाँ, वनराज वन में सोहत मुकुट जहाँ, युवराज धन में।। मोहक किरन कली, हमराज अपना नाहक फिरन चली,
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Read Moreकुदरत ने सब कुछ दिया, आम पाम अरु जाम हम मानव ने रख दिया, अमृत फल का दाम अमृत फल
Read Moreअसलम के कमरे में दाखिल होते ही रजिया कुर्सी से उठकर खड़ी हो गयी । जबकि असलम ने आते ही
Read Moreसद्भावना जीवन सार बने हर मानव का श्रृंगार बने- सद्भावना से कायम धरती, यह भेद नहीं कोई करती, जग-जीवन को
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