कविता

कविता

पड़े हैं दर्द सीने के किसी कोने में,
फ्रिज में रखी मिठाई जैसे,
खराब न हो इसलिए
देख लेता हूँ एक बार
कि बदबू तो नहीं दे रहें,
सालों से जमा हैं,
लेना कोई नहीं चाहता,
सब दे जाते हैं।
मुझे डर है कहीं फुल न हो जाए
तो कहाँ रखूँगा?
एक छोटा-सा पिद्दा सा दिल,
और सैकड़ों की तादाद में मिलते हैं।
आज जो फ्रिज की तरह साफ करना चाहा
तो दहाड़कर बोले-‘वाह रे खुदगर्ज!जब सूना था दिल,
तो दिल लगा-लगाकर समेटा हमें।
अब घर से निकाल रहा है।
जिस तरह अपनों ने ठुकराया तेरी माँ को,
तेरी विकलांगता के कारण।
अगर तेरी आँखों में ज़रा भी पानी है
तो पाल हमें तू उस तरह,
जैसे पाला तेरी माँ ने तुझे,
अनगिनत कष्ट सहकर।’
मैं मौन हो गया,
मेरी सारी वाक् चातुरी जाती रही,
दर्दोँ ने दुखती रग पकड़ा,
अपना शिकंजा और जकड़ा।
जितना उनको भगाया
उतने ही और पाया।

पीयूष कुमार द्विवेदी ‘पूतू’

पीयूष कुमार द्विवेदी 'पूतू'

स्नातकोत्तर (हिंदी साहित्य स्वर्ण पदक सहित),यू.जी.सी.नेट (पाँच बार) जन्मतिथि-03/07/1991 विशिष्ट पहचान -शत प्रतिशत विकलांग संप्रति-असिस्टेँट प्रोफेसर (हिंदी विभाग,जगद्गुरु रामभद्राचार्य विकलांग विश्वविद्यालय चित्रकूट,उत्तर प्रदेश) रुचियाँ-लेखन एवं पठन भाषा ज्ञान-हिंदी,संस्कृत,अंग्रेजी,उर्दू। रचनाएँ-अंतर्मन (संयुक्त काव्य संग्रह),समकालीन दोहा कोश में दोहे शामिल,किरनां दा कबीला (पंजाबी संयुक्त काव्य संग्रह),कविता अनवरत-1(संयुक्त काव्य संग्रह),यशधारा(संयुक्त काव्य संग्रह)में रचनाएँ शामिल। विभिन्न राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय पत्र-पत्रिकाओं में रचनाएँ प्रकाशित। संपर्क- ग्राम-टीसी,पोस्ट-हसवा,जिला-फतेहपुर (उत्तर प्रदेश)-212645 मो.-08604112963 ई.मेल-putupiyush@gmail.com