भाषा-साहित्य

हिंदी का विरोध और राजनीति

हिंदी विरोधी ट्वीटर कैंपेन #NammaMetroHindiBeda (हमारी मेट्रो, हम नहीं चाहते हिंदी) के बाद दो मेट्रो स्‍टेशनों चिकपेट और मैजेस्‍टिक के हिंदी में लिखे गए नामों को 3 जुलाई को पेपर और टेप की मदद से ढक दिया। ये मेट्रो बोर्ड कन्‍नड, अंग्रेजी और हिंदी में थे।
केआरवी कार्यकर्ता प्रवीण शेट्टी ने रेस्‍त्रां के खिलाफ हिंदी और अंग्रेजी विरोधी कार्रवाई की। उन्‍होंने एएनआई को बताया कि, हमने यह इसलिए किया क्‍योंकि बिज़नेस और अपने फायदे के लिए कर्नाटक की जमीन और यहां कि बिजली का उपयोग किया जाता है लेकिन वे कन्‍नड़ भाषा के उपयोग या कन्‍नड़ लोगों को नौकरी नहीं देना चाहते हैं। शेट्टी ने आगे कहा कि यदि कर्नाटक में हिंदी व अंग्रेजी का उपयोग किया जाता है तो उनकी मांग है कि दिल्‍ली व अन्‍य जगहों में कन्‍नड भाषा का उपयोग किया जाए। ‘यदि दिल्‍ली व अन्‍य जगहों पर आप कन्‍नड साइनबोर्ड का उपयोग करते हैं तो हम भी कर्नाटक में हिंदी व अंग्रेजी का उपयोग करेंगे।‘

कर्नाटक के मुख्‍यमंत्री सिद्धरमैया ने हिंदी विरोधी ब्रिगेड का समर्थन किया और अधिकारियों से पता लगाने को कहा है कि गैर हिंदी भाषी राज्‍यों जैसे तमिलनाडु, केरल, पश्‍चिम बंगाल आदि में क्‍या नीति अपनायी गयी है। मुख्‍यमंत्री के निर्देश का अनुसरण करते हुए कन्‍नड विकास अधिकरण ने मंगलवार को बेंगलूर मेट्रो रेल कार्पोरेशन लिमिटेड को नोटिस जारी कर दिया जिसमें सवाल किया कि वह तीन भाषाओं वाली नीति का उपयोग क्‍यों कर रहा है।

 

प्रवीण कुमार जैन (एमकॉम, एफसीएस, एलएलबी)
कम्पनी सचिव, वाशी, नवी मुम्बई – ४००७०३.