कविता

“कुंडलिया”

बिंदी पाई पागड़ी, स्वर हिंदी अभिमान

क ख से ज्ञ तक वर्ण सभी, गुरुवर की पहचान

गुरुवर की पहचान, चंद्र आकार चांदनी

गुरु पूनम दिनमान, दिव्यता अंकुर अवनी

गौतम गर्वित ज्ञान, नम्रता लाए हिंदी

नमन करूँ गुरुपाद, सुशोभित माथे बिंदी।।

महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी

*महातम मिश्र

शीर्षक- महातम मिश्रा के मन की आवाज जन्म तारीख- नौ दिसंबर उन्नीस सौ अट्ठावन जन्म भूमी- ग्राम- भरसी, गोरखपुर, उ.प्र. हाल- अहमदाबाद में भारत सरकार में सेवारत हूँ