राजनीति

अब यूपी में होगा धार्मिक पर्यटन का विकास

उत्तर प्रदेश में योगी सरकार बनने के बाद कई क्षेत्रों में बदलाव के आसार दिखलायी पड़ने लगे हैं जिसमें पर्यटन भी एक है। पिछली सरकारों ने पर्यटन के क्षेत्र को छुआ तक नहीं था। यदि पिछली सरकारों ने पर्यटन के नाम पर कुछ किया है तो वह है मुस्लिम तुष्टीकरण। विगत 70 वर्षों केंद्र सरकार व 27 सालों तक यूपी में राज करने वाली सरकारों को पर्यटन के नाम पर केवल ताजमहल व पुराने लखनऊ की नवाबी संस्कृति के अलावा कुछ और नहीं पता था। सेकुलर दलों ने पर्यटन को मुस्लिम तुष्टीकरण का सबसे बड़ा हथियार बना लिया था लेकिन अब प्रदेश में योगी आदित्यनाथ की सरकार बनने के बाद पर्यटन के क्षेत्र में व्यापक महापरिवर्तन होता दिखलायी पड़ रहा है।

प्रदेश में पर्यटन के क्षेत्र में विकास व रोजगार की असीम व असीमित संभावनायें भरी पड़ी हैं लेकिन पिछली सरकारों ने उन सभी से मुंह मोड़ लिया था। सरकारें योजनायें बनाने में तथा अफसर घोटाले करने में मस्त रहीं। जिसका नतीजा यह निकला कि आज पर्यटन के क्षेत्र में प्रदेश बुरी तरह से पिछड़ गया है। उत्तर प्रदेश की वास्तविक पहचान खो गयी है। पिछली सरकारों ने हिंदू समाज की आस्था के केंद्रों अयोध्या, मथुरा व काशी सहित अन्य प्रतिष्ठित धार्मिक महत्व के स्थलों के साथ दोयम दर्जे का व्यवहार किया था। लेकिन अब हालात तेजी से बदलने की उम्मीद है।

प्रदेश में पर्यटन के विकास व रोजगार की असीम संभावनाएं हैं। प्रदेश सरकार ने अब अयोध्या, मथुरा व काशी का व्यापक दृष्टिकोण से विकास करने का लक्ष्य साधा है। यही कारण है कि अयोध्या व वृंदावन को अब नगर निगम का दर्जा दे दिया गया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अयोध्या दौरे के दौरान अयोध्या के व्यापक व विस्तृत पर्यटन की दृष्टि से विकास की रूपरेखा प्रस्तुत की है। अयोध्या के समग्र विकास के लिए 250 करोड़ का प्रावधान किया गया है। उन्होंने अपनी यात्रा के दौरान अयोध्या में होने वाली पंचकोसी, चैदह कोसी यात्राओं का उल्लेख करते हुए कहा कि इन यात्राओं के माध्यम से पर्यटकों को आकर्षित किया जा सकता है। अयोध्या में सरयू नदी के किनारे वाराणसी की गंगा आरती की तर्ज पर सरयू आरती का श्रीगणेश करने की घोषणा की। अयोध्या को रेल, सड़क, वायु यातायात के माध्यम से पूरे देश से जोड़ने की योजना बनी है। अभी तक मुस्लिम तुष्टीकरण के कारण अयोध्या का पूरे देश से व्यापक संपर्क ही नहीं था। आम जनमानस चाहकर भी अयोध्या नहीं आ सकता था। यदि आना भी चाहे तो उनके लिये अच्छे होटलों व रेस़्त्रां तथा स्वास्थ्य सुविधाओं का अभाव भी था। अयोध्या की सड़कोें की दुर्दशा सभी ने देखी लेकिन किसी ने ताजमहल व इमामबाडे़ के आगे किसी पर ध्यान नहीं दिया। लेकिन अब प्रदेश में धार्मिक पर्यटन का व्यापक विस्तार होने का मार्ग खुल रहा है।

विगत दिनों पर्यटन विभाग की ओर से उप्र में पर्यटन की संभावना विषय पर आयोजित गोष्ठी को संबोधित करते हुए मुख्यमत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि प्रदेश में पर्यटन के विकास के लिए व्यापक कार्ययोजना तैयार की गयी है। पर्यटक स्थलों पर बुनियादी सुविधाओं का विस्तार किया जायेगा। पर्यटकों को सरकार अच्छी सुविधाएं और सुरक्षा देगी। उनका कहना है कि अयोध्या चित्रकूट काशी मथुरा प्रयागराज और नैमिषारण्य जैसे तीर्थस्थलों का इतिहास तो पांच से 8 हजार साल पुराना है। इतनी सम्पन्न सांस्कृतिक, धार्मिक और ऐतिहासिक विरासत को दुनिया को बताना पड़ेगा।

मुख्यमंत्री का कहना है कि हमारी आस्था और तीर्थ सांस्कृतिक एकता के आधार हैं। भगवान राम ने उत्तर-दक्षिण को जोड़ा तो कृष्ण ने पूरब-पश्चिम को। उक्त संगोष्ठी में उपस्थित वक्ताओं ने कहा कि प्रदेश में भगवान राम, बुद्ध और बृज सर्किट है। इनको यदि बढ़ावा दिया जाये तो इन शहरों के पर्यटन को लाभ मिलेगा। देश ही नहीं विश्व भर में बुद्ध के अनुयायियों के लिए कपिलवस्तु, श्रावस्ती, सारनाथ, कौशाम्बी व कुशीनगर में बुद्ध को मानने वाले बड़ी संख्या में आते हैं। ब्रज की होली विश्व प्रसिद्ध है। इसी तरह राम सर्किट यानी की अयोध्या से चित्रकूट तक भी पर्यटकों का आगमन काफी अधिक होता है।

संगोष्ठी में कहा गया कि प्रदेश में मेलों, त्यौहारों, मशहूर व्यंजनों, हस्तशिल्प आदि की इंटरनेट पर व्यापक ब्रांडिंग करने से इन उद्योगों को भी व्यापक बढ़ावा मिलेगा। प्रदेश में पर्यटन के विकास के लिए सबसे बड़ी आवश्यकता हवाई यातायात रेल व सड़क परिवहन सेवाओं के विस्तार की है। पर्यटन के विकास में सबसे बड़ी बाधा यहां की बिगड़ी हुई कानून व्यवस्था है। प्रदेश में विदेशी पर्यटकों के साथ अभद्र व्यवहार व शर्मनाक घटनाओं के समाचार सुर्खियों में बने रहते हैं। विदेशी महिलाओं के साथ छेड़छाड़, बलात्कार व उनके साथ लूटपाट आदि की घटनाएं घटित हो रही हैं। प्रदेश में पर्यटन के विकास के लिए सबसे बड़ी आवश्यकता इस बात की है कि आम जनमानस व विदेशी पर्यटकों के मन में सुरक्षा की भावना को जागृत किया जाये। उक्त संगोष्ठी में मुख्यमंत्री ने सबसे बड़ा ऐलान यह किया कि अगले अर्धकुम्भ से पहले गंगा नदी में हुगली से प्रयागराज तक स्टीमर और जहाज चलाने की व्यवस्था करेगी। सभी प्रमुख तीर्थस्थलों को हवाई सेवा से जोड़ने तथा द्वितीय विश्व युद्ध के समय से बेकार पड़ी 10 हवाई पटिटयों को दोबारा संचालन की स्थिति में लाया जायेगा।

प्रदेश सरकार पर्यटन को व्यापक स्तर पर बढ़ावा देने के लिए जहां संघ विचारक पं. दीनदयाल उपाध्याय से जुड़ें स्थलों को पर्यटन की दृष्टि से विकसित करने का निर्णय लिया है। इतना ही नहीं प्रदेश के पर्यटन विभाग ने संत कबीर दास की मगहर में बनी उनकी समाधि और मजार दोनों को संवारने का बीड़ा उठाया है। प्रदेश का पर्यटन विभाग मगहर समेत प्रदेश के 90 पर्यटन स्थलों को स्वदेश दर्शन योजना के तहत चमकाने का निर्णय लिया है। जिन स्थलों को फिर से संवारने का निर्णय लिया है उसमें बुलंदशहर का मां अवन्तिका मंदिर, अलीगढ़ का अचलताल व सौरों मंदिर, कौशाम्बी का मां शीतला मंदिर, प्रतापगढ़ का घुइसरनाथ धाम, उन्नाव का गंगाघाट, सरौसी, कैराना, मिर्जापुर का सिद्धबाबा की दरी व हनुमंत धाम, आजमगढ़ का परशुराम मंदिर, दुर्वासा आश्रम, चंद्रमुनी आश्रम, दत्तात्रेय का आश्रम, मां शीतला देवी मंदिर, अवन्तिका पुरी मंदिर, जय मां पल्मेश्वरी मंदिर, बाराबंकी जिले में बाबा टीकाराम तपोस्थली, सिद्धेश्वर, लोधेश्वर, महादेव मंदिर, सुमली नदी गंगापुर घाट, पारिजात वृक्ष, भगवान पाश्र्वनाथ व कुंतेश्वर महादेव मंदिर सहित लगभग पूरे अवध के हर जिले में व्यापक स्तर पर पर्यटक स्थल हैं जिनको विकसित किया जायेगा। अभी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कुकरैल को भी विकसित करने का ऐलान किया है।

पर्यटन महानिदेशक अवनीश अवस्थी का कहना है कि इन पर्यटक स्थलों में कई तरह के काम कराये जायेंगे। ऐतिहासिक स्थलों में लाइट एंड साउंड शो, हाइमास्ट लाईट, इंटरप्रिटेशन सेंटर समेत पर्यटक सुविधाओं को बढ़ाया जायेगा। वहीं धार्मिक स्थलों में घाट, बोटिंग, सोलर लाइट आदि। इन सभी जगहों पर 36 महीनों में काम पूरा होना है। इतना ही नहीं अब प्रदेश का पर्यटन विभाग मुख्यमंत्री के विचारों को धरातल पर उतारने के लिये ताजमहल देखने आने वाले विदेशी पर्यटकों को रामायण व गीता उन्हीं की भाषा में वितरण करने की योजना बना रहा है। यह योजना ऐसी है कि जब पर्यटकगण अपना टिकट खरीदें, तभी उन्हें साथ में यह भी दिया जाये, जिससे उनके मन में अन्य धार्मिक स्थलों के प्रति जिज्ञासा उत्पन्न हो सके।

— मृत्युंजय दीक्षित