कविता

कुदरत का कहर

वर्ष 2013 की आपदा पर लिखी मेरी कविता
कुदरत का कहर बरस गया
प्यारा पहाड़ खण्ड-खण्ड हो गया
देवभूमि की दशा दयनीय कर गया
नदियों को विकराल रूप दे गया
गंगा का ऐसा रौद्र रूप कर गया
शिव की मूर्ति भी समा ले गया
सैकड़ों जाने एक पल में ले गया
चिडिय़ों की चहचहाट ले गया
पशुओं का आवास ले गया
मानव की तो मत पूछो
सैकड़ों घरों के चिराग ले गया
प्यारी सुबह की हवा ले गया
शाम और दोपहर ले गया
कुदरत का कहर बरस गया।।

जीवन राज

 

जीवन राज

जीवन राज युवा पत्रकार नौ साल से पत्रकारिता के क्षेत्र में सक्रिय देश के कई प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकायों में लेख, कहानियां , कविताए वर्तमान में वसुन्धरादीप सांध्य दैनिक समाचार पत्र रुद्रपुर जिला ऊधमसिंह नगर में कार्यरत है हल्द्वानी, जिला नैनीताल मोबाइल न 9675744447