गीतिका/ग़ज़ल

*गीतिका *

मै तेरे करीब आने से पहले !
रोई बहुत मुस्कुराने से पहले !!

जलती रही मै शामो-सहर !
आया कहां जल जाने से पहले !!

बनकर मै मोम पिघलती रही !
ठंडक कहां मुझको जमाने से पहले !!

नही फिक्र थी तुझको मेरी जालिम!
तड़पती रही मै गुनगुनाने से पहले !!

तुझको तो था बाजार पसन्द !
था कहां मिट जाने से पहले !!

बिकते कहां फूल बिना भाव के !
आशिक बहुत सिर उठाने से पहले !!

थी हसरतो की सुन्दर सी माला !
महज अश्को के बिखर जाने से पहले !!
—-प्रीती श्री वास्तव.

प्रीती श्रीवास्तव

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