कविता

“वेगवती छंद”

विधान~ 4 चरण,2-2 चरण समतुकांत। विषम पाद- सगण सगण सगण गुरु(10वर्ण) 112 112 112 2 सम पाद-भगण भगण भगण गुरु गुरु(11वर्ण) 211 211 211 2 2…..

नभ झूम उठे तिन देखो

बेबस डाल झुके उन देखो।।

बह वेग चले वन देखो

है तपती अवनी सुधि लेखो।।

सुन साजन बाहर आओ

है पुरबी पवना दुलराओ।।

अपने नयना बहलाओ

ना तुम नाहक जी तड़फाओ।।

महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी

*महातम मिश्र

शीर्षक- महातम मिश्रा के मन की आवाज जन्म तारीख- नौ दिसंबर उन्नीस सौ अट्ठावन जन्म भूमी- ग्राम- भरसी, गोरखपुर, उ.प्र. हाल- अहमदाबाद में भारत सरकार में सेवारत हूँ