कविता

प्रेम पथिक

पुराने घर की किवाड़ को
आज भी इंतजार है तुम्हारा
किसी रोज आयोगी तुम
हवा के शीतल झोंके की तरह
और बहा ले जाओगी मुझे 
ताकती है निगाहे
किवाड़ के बाहर
यकीन की हद के पार
टूटता है तिस्लिम
और दिल नगरी में
उमड़ पड़ता है
तुम्हारे साथ बताये गये
स्वर्णिम पलों की
मधुर स्मृतियां का सैलाब
तुम्हारी खलती कमी में
ये यादें …
किसी मरते के लिए प्राण
मुर्दे में लौटाती जान
सब कहते है
सब झूठ कहते है
तुम नहीं आयोगी
मन आवाज देता है
तुम आयोगी
उसी किवाड़ से
दिल के शीशमहल में करोगी प्रवेश
परमपिता अविनाशी की अट्टालिकाओं को
ठोकरों में ठुकरा कर
तुम आयोगी ….

देवेन्द्रराज सुथार

देवेन्द्रराज सुथार , अध्ययन -कला संकाय में द्वितीय वर्ष, रचनाएं - विभिन्न हिन्दी पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित। पता - गांधी चौक, आतमणावास, बागरा, जिला-जालोर, राजस्थान। पिन कोड - 343025 मोबाईल नंबर - 8101777196 ईमेल - devendrakavi1@gmail.com