भजन/भावगीत

कान्हा आ जाना

बाट देखूं मैं तेरी बेकरारी से
कान्हा तू आ जाना …..२
आ जाना ….फिर ना जाना …..२
फिर से मुरली बजाना प्यारी प्यारी
मधुर धुन सुना जाना
बाट देखूं मैं तेरी बेकरारी से
कान्हा तू आ जाना ….२ ।।

तुझको सुमिरुं मैं खुद को बिसारी
तू किरपा दिखा जाना
भोग लडुअन के ओ गिरिधारी
तू आके लगा जाना
बाट देखूं मैं तेरी बेकरारी से
कान्हा तू आ जाना …..2

(सभी पाठकों को जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएं । )

*राजकुमार कांदु

मुंबई के नजदीक मेरी रिहाइश । लेखन मेरे अंतर्मन की फरमाइश ।

2 thoughts on “कान्हा आ जाना

  • राजकुमार कांदु

    आदरणीय भाईसाहब । सुंदर प्रतिक्रिया के लिए धन्यवाद ।

  • गुरमेल सिंह भमरा लंदन

    सुन्दर भजन ,राजकुमार भाई .

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