स्वास्थ्य

बच्चों के मल विसर्जन की समस्या

भारत में छोटे बच्चों की मातायें इस बात से बहुत चिन्तित रहती हैं कि उनके बच्चों का मल विसर्जन नियमित नहीं होता और कई बार तो कई-कई दिन तक नहीं होता। उनकी चिंता सही है, क्योंकि नियमित मल विसर्जन न होना अनेक स्वास्थ्य समस्याओं को जन्म दे सकता है।

जो बच्चे केवल माता के या गाय के दूध पर रहते हैं उनके साथ प्राय: यह समस्या नहीं होती, लेकिन डिब्बाबंद दूध पर पलने वाले बच्चों को यह समस्या बहुत होती है। इसका कारण यह है कि डिब्बाबंद दूध सुपाच्य नहीं होता। इसका सरल समाधान है दूध को पतला करके पिलाना और दो बार दूध पिलाने के बीच में अनिवार्य रूप से एक बार जल पिलाना।

केवल दूध पीने वाले बच्चों को दिन में केवल चार या पाँच बार दूध और उतनी ही बार शुद्ध जल पिलाना चाहिए। इससे मल-मूत्र विसर्जन नियमित होता रहेगा।

दूध के अलावा ठोस आहार पर रहने वाले बच्चों में अनियमित मल विसर्जन और क़ब्ज़ की समस्या अधिक होती है। ऐसी स्थिति में उनके खान-पान में उचित सुधार करना चाहिए और पर्याप्त मात्रा में जल भी पिलाते रहना चाहिए।

यदि किसी कारणवश बच्चों को क़ब्ज़ हो जाता है तो पेट साफ करने का सरल उपाय यह है कि उनके पेड़ू (नाभि से नीचे का पेट का आधा भाग) पर खूब ठंडे पानी का पौंछा २-३ मिनट तक लगायें और उसके तत्काल बाद बच्चे को उछल-कूद करायें या दौड़ायें जिससे शरीर में गर्मी आ जाये। आवश्यकता के अनुसार यह क्रिया दिन में सुबह-शाम दो बार भी की जा सकती है। ऐसा करने से शीघ्र ही उनका पेट साफ होने लगेगा और उनकी पाचनशक्ति भी बढेगी। पेट साफ करने के लिए बच्चों को कभी भी कोई रेचक औषधि नहीं देनी चाहिए।

यदि बच्चों को गैस बनती है और गैस के कारण पेट में दर्द होता है तो उनको गुनगुना पानी पिलाना चाहिए और पेट पर कोई पाउडर जरा सा डालकर पेट की गोल-गोल मालिश (पहले घड़ी की सुई की दिशा में, फिर उसके विपरीत) करनी चाहिए। इससे गैस निकल जाएगी और पेट भी साफ होगा।

— विजय कुमार सिंघल
भाद्रपद कृ 5, सं 2074 वि (12 अगस्त 2017)

डॉ. विजय कुमार सिंघल

नाम - डाॅ विजय कुमार सिंघल ‘अंजान’ जन्म तिथि - 27 अक्तूबर, 1959 जन्म स्थान - गाँव - दघेंटा, विकास खंड - बल्देव, जिला - मथुरा (उ.प्र.) पिता - स्व. श्री छेदा लाल अग्रवाल माता - स्व. श्रीमती शीला देवी पितामह - स्व. श्री चिन्तामणि जी सिंघल ज्येष्ठ पितामह - स्व. स्वामी शंकरानन्द सरस्वती जी महाराज शिक्षा - एम.स्टेट., एम.फिल. (कम्प्यूटर विज्ञान), सीएआईआईबी पुरस्कार - जापान के एक सरकारी संस्थान द्वारा कम्प्यूटरीकरण विषय पर आयोजित विश्व-स्तरीय निबंध प्रतियोगिता में विजयी होने पर पुरस्कार ग्रहण करने हेतु जापान यात्रा, जहाँ गोल्ड कप द्वारा सम्मानित। इसके अतिरिक्त अनेक निबंध प्रतियोगिताओं में पुरस्कृत। आजीविका - इलाहाबाद बैंक, डीआरएस, मंडलीय कार्यालय, लखनऊ में मुख्य प्रबंधक (सूचना प्रौद्योगिकी) के पद से अवकाशप्राप्त। लेखन - कम्प्यूटर से सम्बंधित विषयों पर 80 पुस्तकें लिखित, जिनमें से 75 प्रकाशित। अन्य प्रकाशित पुस्तकें- वैदिक गीता, सरस भजन संग्रह, स्वास्थ्य रहस्य। अनेक लेख, कविताएँ, कहानियाँ, व्यंग्य, कार्टून आदि यत्र-तत्र प्रकाशित। महाभारत पर आधारित लघु उपन्यास ‘शान्तिदूत’ वेबसाइट पर प्रकाशित। आत्मकथा - प्रथम भाग (मुर्गे की तीसरी टाँग), द्वितीय भाग (दो नम्बर का आदमी) एवं तृतीय भाग (एक नजर पीछे की ओर) प्रकाशित। आत्मकथा का चतुर्थ भाग (महाशून्य की ओर) प्रकाशनाधीन। प्रकाशन- वेब पत्रिका ‘जय विजय’ मासिक का नियमित सम्पादन एवं प्रकाशन, वेबसाइट- www.jayvijay.co, ई-मेल: jayvijaymail@gmail.com, प्राकृतिक चिकित्सक एवं योगाचार्य सम्पर्क सूत्र - 15, सरयू विहार फेज 2, निकट बसन्त विहार, कमला नगर, आगरा-282005 (उप्र), मो. 9919997596, ई-मेल- vijayks@rediffmail.com, vijaysinghal27@gmail.com

4 thoughts on “बच्चों के मल विसर्जन की समस्या

  • गुरमेल सिंह भमरा लंदन

    विजय भाई ,आप का लेख अच्छा लग्गा .आज ज़ादा माताएं जल्दी अपना दूध बंद कर देती है ,इस का एक कारण तो है, काम पर जाने वाली औरतों को अपना दूध पिलाना मुश्किल हो जाता है ,दुसरे आज की औरतें बच्चों का कम और फिगर का ज़िआदा धियान रखती हैं . मुझे याद है, जब हम छोटे होते थे तो औरतें बच्चों को साफ़ करती ही रहती थीं .उस समें बहुत औरतें ,बच्चों को पैरों पर बिठा कर ही करा देती थीं और कब्ज़ कभी सुनी नहीं थी .आज डिब्बे का दूध, बच्चे को कब्ज़ करता है किओंकी इस में नैचुरल फैट नहीं होता .फैट से कब्ज़ दूर होती है . पहले डाक्टर कहते थे किः घी न खाओ, इस से बल्ड प्रेशर बढता है लेकिन अब फिर से थोह्दा सा घी खाने को बोलने लग्गे हैं . मुझे कभी कब्ज़ नहीं हुई किओंकी मैंने घी लेना कभी नहीं छोड़ा और एक ग्लास दूध रोज़ पीता हूँ . आप क लेख जागरूपता लाने के लिए बहुत अच्छा है .

    • विजय कुमार सिंघल

      धन्यवाद, भाई साहब ! आपकी सभी बातें अपने ही अनुभव पर आधारित हैं. इसलिए सवा सोलहो आने सत्य हैं.

  • राजकुमार कांदु

    आदरणीय ! बच्चों के स्वास्थ्य से संबंधित अति सुंदर ज्ञानवर्धक लेख । इसे पढ़कर माताएं अवश्य लाभान्वित होंगी । धन्यवाद ।

    • विजय कुमार सिंघल

      हार्दिक आभार, भाई साहब !

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