लघुकथा

लघुकथा : जुगाड़

न्यू जर्सी के एयरपोर्ट पर लेने आई मिशी को देखते ही वसुधा को अपनी ननद इना की चतुराई का भान हो गया था क्यों की मिशी गर्भवती दिखाई दे रही थी वो भी लगभग पूरे दिन की ! वसुधा को आज अपनी सरलता पर गुस्सा आ रहा था ! उसे तो उसी दिन खटका लगा था जब इना ने बड़ा लाड दिखाते हुए कहा था,” वसु भाभी, इस बार तुम और सोना भी मेरे साथ न्यू जर्सी चलो, सोना की गर्मी की छुट्टियाँ भी हैं और मिशी आप लोगों को बहुत मिस कर रही है ! दुबई में ड्यूटी-फ्री सामान मिलता है खूब शौपिंग भी कर लेंगे,फिर तो सोना हॉस्टल चली जाएगी!”
ना जाने कैसे अपनी कुटिल ननद की बातों में आ गयी थी वसु ! सोना भी अमेरिका घूमना चाहती थी सो बदले मिजाज़ का कारण भी जानने की कोशिश नहीं की उसने ! पर अब जब तीन लाख टिकट पर खर्चा करके आई है तो 2 महीने साथ रहना ही पड़ेगा !
शुरू के 15 दिन तो जवाई सा ने खूब घुमाया उन्हें ! सोलवें दिन मिशी ने तबियत ठीक नहीं होने की शिकायत की, तो इना सारे दिन बेटी के पास बैठी रही और वसुधा ने घर का सारा जिम्मा खुद ही अपने ऊपर ले लिया ! रात सारा काम निबटा सोने जा ही रही थी कि मिशी के कमरे से हलकी खिलखिलाहट सुनना चाहते हुए भी कदम ठिठक गए, आवाज़ मिशी की थी,” माँ,आपने मामी को लाकर बहुत अच्छा किया, यहाँ नैनी (परिचारिका ) हम अफोर्ड नहीं कर सकते, और आप क्या-क्या करतीं ? डॉ ने दस दिन बाद की डेट दी है ! शायद ओपरेशन करना होगा !”
वसुधा की आँखों में आंसू आ गए खुद को छले जाने पर ! नींद अब कोसों दूर थी आँखों से ! सहसा ख्याल आया कि भारत में तो अभी सूर्योदय हुआ होगा ! तुरंत फोन उठा कर पति को मेसेज करके सारा हाल बताया !
जिस दिन मिशी को सुबह हॉस्पिटल जाना था उसकी पहली शाम माँ-बेटी ले जाने वाले सामान की तैयारी कर रही थी, तभी दामाद अपने ऑफिस से कुछ घबराए हुए आये और वसुधा को 2 टिकट देते हुए बोले,” मामी जी, आप दोनों को कल शाम की फ्लाईट से वापिस इंडिया जाना होगा !”
दो जोड़ी आँखों में प्रश्न देख दामाद जी ने बात पूरी की, “नानी की तबियत खराब हो गयी है, मामाजी अकेले मेनेज नहीं कर पा रहे !”
मिशी और इना के हारे हुए चेहरे कनखियों से देख वसुधा अपनी तैयारी करने कमरे में चल दी !
पूर्णिमा शर्मा

पूर्णिमा शर्मा

नाम--पूर्णिमा शर्मा पिता का नाम--श्री राजीव लोचन शर्मा माता का नाम-- श्रीमती राजकुमारी शर्मा शिक्षा--एम ए (हिंदी ),एम एड जन्म--3 अक्टूबर 1952 पता- बी-150,जिगर कॉलोनी,मुरादाबाद (यू पी ) मेल आई डी-- Jun 12 कविता और कहानी लिखने का शौक बचपन से रहा ! कोलेज मैगजीन में प्रकाशित होने के अलावा एक साझा लघुकथा संग्रह अभी इसी वर्ष प्रकाशित हुआ है ,"मुट्ठी भर अक्षर " नाम से !