कविता

प्यार….

कुछ तो हो रहा
दिल में एहसास ऐसा
जैसे हुआ था
पहली मुहब्बत का
पर तुम मेरा प्यार नहीं
फिर भी दिल
तुम्हारी ओर खिंचता जा रहा
अजीब राहों पर चक पड़ा है दिल
प्यार मुकम्मल है मेरा
फिर नए रास्ते तलाशता है
ये दिल की ख्वाइशें भी
बड़ी शरारती है
न जाने क्यों एक बार फिर से
मुहब्बत चाहती है
ऐ नासमझ दिल
समझ इस बात को
प्यार एकबार होता है बार-बार नहीं
इसके बाद सभी दिल्लगी है

*बबली सिन्हा

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