गीतिका/ग़ज़ल

खेल जो चल रहा मुहब्बत का

खेल जो चल रहा मुहब्बत का
ये नया ढंग है अदावत का

हर किसी ने नकाब ओढा है
झूठ पर सत्य का शराफ़त का

सच भला याद क्यूँ रहे उनको
चढ़ गया है नशा सियासत का

मुफ़लिसी का कहीं नही चर्चा
अब ज़माना है सिर्फ दौलत का

दर्द कुछ और बढ गया जबसे
उसने पू़छा पता शराफ़त का

माँगने से नही मिले हक़ तो
रास्ता सिर्फ़ है बगावत का

सोच कर खूब कीजिये बंसल
अब भरोसा किसी कि चाहत का

सतीश बंसल
१६.०६.२०१७

*सतीश बंसल

पिता का नाम : श्री श्री निवास बंसल जन्म स्थान : ग्राम- घिटौरा, जिला - बागपत (उत्तर प्रदेश) वर्तमान निवास : पंडितवाडी, देहरादून फोन : 09368463261 जन्म तिथि : 02-09-1968 : B.A 1990 CCS University Meerut (UP) लेखन : हिन्दी कविता एवं गीत प्रकाशित पुस्तकें : " गुनगुनांने लगीं खामोशियां" "चलो गुनगुनाएँ" , "कवि नही हूँ मैं", "संस्कार के दीप" एवं "रोशनी के लिए" विषय : सभी सामाजिक, राजनैतिक, सामयिक, बेटी बचाव, गौ हत्या, प्रकृति, पारिवारिक रिश्ते , आध्यात्मिक, देश भक्ति, वीर रस एवं प्रेम गीत.