भजन/भावगीत

गणेश-वंदना

हे विघ्नविनाशक,बुद्धिप्रदायक, नीति-ज्ञान बरसाओ ।
गहन तिमिर अज्ञान का फैला,नव किरणें बिखराओ।।

कदम-कदम पर अनाचार है,
झूठों की है महफिल
आज चरम पर पापकर्म है,
बढ़े निराशा प्रतिफल

एकदंत हे ! कपिल-गजानन,अग्नि-ज्वाल बरसाओ ।
गहन तिमिर अज्ञान का फैला,नव किरणें बिखराओ ।।

मोह,लोभ में मानव भटका,
भ्रम के गड्ढे गहरे
लोभी,कपटी,दम्भी हंसते
हैं विवेक पर पहरे

रिद्धि-सिद्दि तुम संग में लेकर,नव सृजन सरसाओ।
गहन तिमिर अज्ञान का फैला,
नव किरणें बिखराओ ।।

जीवन तो अब बोझ हो गया,
तुम वरदान बनाओ
नारी की होती उपेक्षा,
आकर मान बढ़ाओ

मंगलदायी, हे ! शुभकारी,अमृत रस बरसाओ ।
गहन तिमिर अज्ञान का फैला,नव किरणें बिखराओ ।।

प्रो. शरद नारायण खरे

*प्रो. शरद नारायण खरे

प्राध्यापक व अध्यक्ष इतिहास विभाग शासकीय जे.एम.सी. महिला महाविद्यालय मंडला (म.प्र.)-481661 (मो. 9435484382 / 7049456500) ई-मेल-khare.sharadnarayan@gmail.com