कविता

जल प्रबंधन

सही – सही हो अगर
जल प्रबंधन तो
न हो हानि जन की – धन की
न हो हाहाकार
न गाँव – शहर बनें समुन्द्र
बहे नदी कल – कल
न धरे रौद्र रूप… |

पर इस मानवी लालच ने
छेड़ा है प्रकृति को
किया है दोहन अत्यधिक
विकास के नाम पर
नदियों को पाट दिया
वृक्षों को काट दिया |

पहाड़ों को किया है नंगा
जंगलों की करके सफाई
कंकरीट के नये – नये जंगल बनाये हैं
मानव ने पशु – पक्षियों के घर जलाये हैं
प्रकृति ने बदले में मानव के घर बहाये हैं |

सही – सही हो अगर
जल प्रबंधन
और प्रकृति को न छेड़ा जाये तो
ये धरती स्वर्ग बन जायेगी
मानव सभ्यता बच जायेगी… ||

मुकेश कुमार ऋषि वर्मा

मुकेश कुमार ऋषि वर्मा

नाम - मुकेश कुमार ऋषि वर्मा एम.ए., आई.डी.जी. बाॅम्बे सहित अन्य 5 प्रमाणपत्रीय कोर्स पत्रकारिता- आर्यावर्त केसरी, एकलव्य मानव संदेश सदस्य- मीडिया फोरम आॅफ इंडिया सहित 4 अन्य सामाजिक संगठनों में सदस्य अभिनय- कई क्षेत्रीय फिल्मों व अलबमों में प्रकाशन- दो लघु काव्य पुस्तिकायें व देशभर में हजारों रचनायें प्रकाशित मुख्य आजीविका- कृषि, मजदूरी, कम्यूनिकेशन शाॅप पता- गाँव रिहावली, फतेहाबाद, आगरा-283111