गीतिका/ग़ज़ल

ढलेगी जीत में ये हार इक दिन

ढलेगी जीत में ये हार इक दिन
गिरेगी राह की दीवार इक दिन

चलेगा नाम का सिक्का हमारा
झुकेगा सामने संसार इक दिन

मिटेगा नाम जग से नफ़रतों का
रहेगा प्यार केवल प्यार इक दिन

धरम के नाम पर जो हो रहा है
रुकेगा पाप का व्यापार इक दिन

बहुत ऊँचा बहुत ऊँचा उड़ा जो
गिरेगा देखना थक हार इक दिन

सम्हालो तुम इसे लुट ही न जाये
कहीं अज़दाद की दस्तार इक दिन

बदी को देख कर हम चुप रहे तो
कहीं नेकी न जाए हार इक दिन

सतीश बंसल
२१.०८.२०१७

*सतीश बंसल

पिता का नाम : श्री श्री निवास बंसल जन्म स्थान : ग्राम- घिटौरा, जिला - बागपत (उत्तर प्रदेश) वर्तमान निवास : पंडितवाडी, देहरादून फोन : 09368463261 जन्म तिथि : 02-09-1968 : B.A 1990 CCS University Meerut (UP) लेखन : हिन्दी कविता एवं गीत प्रकाशित पुस्तकें : " गुनगुनांने लगीं खामोशियां" "चलो गुनगुनाएँ" , "कवि नही हूँ मैं", "संस्कार के दीप" एवं "रोशनी के लिए" विषय : सभी सामाजिक, राजनैतिक, सामयिक, बेटी बचाव, गौ हत्या, प्रकृति, पारिवारिक रिश्ते , आध्यात्मिक, देश भक्ति, वीर रस एवं प्रेम गीत.