कविता

“भाम छंद”

विधान~[ भगण मगण सगण सगण सगण] ( *211 222 112*, 112 112) 15 वर्ण, *यति 9-6 वर्णों पर*, 4 चरणदो-दो चरण समतुकांत]

सात पहाड़ा धाम शिवे, शिव का पहरा।

पाल रहे आकार हरी, शुभदा भँवरा।।

जो प्रभु जी का मान करे, तिन को भजता।

पावक से वो पाक बने, मन है सजता।।

नेह लगाएं जो हरि वा, शिव का पुतरा।

नाहक लोभी पालत है, छल का धतुरा।।

पाप हरो हे नाथ प्रभो, पिंजरा हमरा।

वास करो नौ नाथ लिए, सत्य का लहरा।।

महातम मिश्र ‘गौतम’ गोरखपुरी

*महातम मिश्र

शीर्षक- महातम मिश्रा के मन की आवाज जन्म तारीख- नौ दिसंबर उन्नीस सौ अट्ठावन जन्म भूमी- ग्राम- भरसी, गोरखपुर, उ.प्र. हाल- अहमदाबाद में भारत सरकार में सेवारत हूँ