सामाजिक

विकास में विज्ञान की भूमिका

“ये सच है कि किसी भी देश का विकास में विज्ञान की अहम् भूमिका होती है वो चाहे देश की सुरक्षा हो या कृषि हो या शिक्षा एवं रोजगार या कोई अन्य।ये विज्ञान के ही ज्ञान से हम तकनीकी तौर पे विकसीत होते है।पर क्या हम मानसिक और सामाजिक तौर पे अपने को विकसित कर पाते है। ये एक बहुत ही गंभीर विषय है जिसपे हमें आज सोचने की आवश्यकता है। विज्ञान ने हमें भौतिकता के सुख से परिपूर्ण कर रहा है जीवन को आसान बना दिया है अच्छी बात है पर दूसरी ओर ये हमे अपनों को अपनों से दूर कर रहा है।रिश्तों मे दूरिया बढ रही है। किसी को किसी के लिए समय नहीं है। ये मोबाइल, लेपटाप और इन्टरनेट ने दूनिया को हमसे नजदीक जरूर कर दिया है ,गैरो को जरूर पास ला दिया है जिसे हम कभी मिले नहीं उससे दोस्ती करा दिया है पर अपनों को अपनों से दूर कर दिया है। परिवार मे एक छत के नीचे रहकर भी किसी को किसी के लिए समय नहीं है। खास करके नयी पीढ़ी आधुनिकता की इस दौर मे बहुत आगे निकल गये है और अपनों को पीछे छोड़ गये है। हमें इस विकसित तकनीक का सकारात्मक फायदा जरूर लेना चाहिए पर साथ ही साथ रिश्तों का ज्ञान और अहमियत का ध्यान रखना भी जरूरी । वर्ना विज्ञान तो तरक्की करता ही जाऐगा पर रिश्ते भी यांत्रिक होते चले जाऐंगे । फिर आने वाले कल की पीढ़ी को आज आप रिश्तों का एहसास न दिला पाऐंगे तो वे तो भविष्य मे और आपसे दूर चले जाऐंगे । तो संभल जाईए विकसित विज्ञान के दूनिया की सैर करने के चक्कर मे अपने रिश्तों को बलि न चढाऐ। धन्यवाद ।

मृदुल शरण