गीतिका/ग़ज़ल

गीतिका

आधार : वर्णिक छंद तोटक, समांत : आर, पदांत : धरो, मापनी : 112 112 112 112 [4 सगण ]=16 मात्रा अंत लयात्मक तुकान्त……. ॐ जय माँ शारदे……..!
“गीतिका”

मृदुता नहिं तापर खार धरो
ममता नहिं वा पर प्यार धरो
मन मान तरो यह बात बड़ी
मरजाद लिए घर द्वार धरो।।

समता अपनी तनि देखि चलो
क्षमता रख ताड़ पहार धरो।।

रखना नहिं भाव सकोच कभी
जँह छाँव भली न दुलार धरो।।

वन बाग बिहान भले कर लो
बिन नेह कहीं न बहार धरो।।

यह बात किसी पल आन पड़े
अफसोस नहीं चित चार धरो।।

दिन ‘गौतम’ रात कहाँ किसकी
हर ठौर न बौर गुबार धरो।।

महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी

*महातम मिश्र

शीर्षक- महातम मिश्रा के मन की आवाज जन्म तारीख- नौ दिसंबर उन्नीस सौ अट्ठावन जन्म भूमी- ग्राम- भरसी, गोरखपुर, उ.प्र. हाल- अहमदाबाद में भारत सरकार में सेवारत हूँ