कविता

किताब…

सुनो !
सहेजकर रखना
मेरी इन किताबों को
मैं रहूं न रहूं
इस दुनिया में
मेरी यादे
सदा रहेगी जिन्दा इनमे
जब कभी तुम
खोलोगे इन्हे
मेरी खुशबु अहसास बनकर
बिखर जाएगी तुममे
मैं मरकर भी
जिन्दा रहूंगी पन्नो पे
अपने शब्दों की गहराईयों में
तुम महसूस करना
मैं मिलूंगी तुम्हे
इन्हीं किताबो में….

*बबली सिन्हा

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