कविता

प्यार मे लोग एक दूसरे को गुलाब का फूल देते है

प्यार मे लोग एक दूसरे को
गुलाब का फूल देते है
लेकिन तुमने तो मुझे
खुद को ही मेरे हवाले कर दिये हो
मिलने पर थोड़ा शर्माते हो
मगर प्यार बेपनाह करते हो
छिपाते हो मुझसे बहुत कुछ
क्यो कि कही मै नराज न हो जाऊ
इस बात से भी तुम डरते हो
सुना देती हूँ गुस्से मे दो चार बात
फिर भी तुम हँस कर ही
मुझसे बात करते हो
यदि कभी रूठ भी गयी तो
कोई कसर नही छोड़ते मनाने में
मै तो यह नही जानती कि
तुम इतना क्यो करते हो
लेकिन मेरे प्रति तुम्हारा प्यार अटूट है
यह मै अच्छी तरह से जानती हूँ
यही कारण है कि
मै चाहकर भी तुमसे दूर
नही हो पाती हूँ।
और सच पूछो तो
मै भी तुमसे प्यार करती हूँ
नही बताती हूँ वो अलग बात हैं।

निवेदिता चतुर्वेदी’निव्या’

निवेदिता चतुर्वेदी

बी.एसी. शौक ---- लेखन पता --चेनारी ,सासाराम ,रोहतास ,बिहार , ८२११०४