सामाजिक

खोदा पहाड़ निकली चुहिया

आज पन्द्रह दिन से ज्यदा हो गए, टी.वी. न्यूज चैनल पर बाबा राम रहीम के किस्से ही छाए हुए हैं। मीडिया ने बाबा के किसी व्यक्तिगत सुरक्षा गार्ड का साक्षात्कार लिया, तो डेरा के किसी पुराने असंतुष्ट कर्मचारी का। जिसको भी टी.वी. पर अपना चेहरा दिखाने की इच्छा बलवती हुई, उसने किसी न्यूज चैनल को फोन करके स्वयं को हनीप्रीत या बाबा का पूर्व सहयोगी बताया। फिर क्या था, सारे न्यूज चैनलों में उसका चेहरा और साक्षात्कार दिखाने की होड़ मच गई। चैनलों ने खुद ही यह कहते हुए डेरा के फोटोग्राफ जारी किए कि वह चैनल ही पहली बार ऐसी दुर्लभ तस्वीरें जारी कर रहा है। चैनलों ने खुद ही मामला बनाया, मुकदमा चलाया और फैसला भी दे दिया कि बाबा को बीस साल नहीं, जिन्दगी भर जेल में रहना पड़ेगा। बाबा के सिरसा के डेरे को इतना रहस्यात्मक बना दिया जैसे वह पाकिस्तान के क्वेटा का परमाणु घर हो जिसमें सैकड़ों परमाणु बम छिपाकर रखे गए हों। बाबा के डेरे के टोकन को समानान्तर करेन्सी कहकर प्रचारित किया गया। हमेशा विदेश यात्राओं पर टी.वी. पर छाए रहने वाले प्रधान मन्त्री नरेन्द्र मोदी भी बाबा राम रहीम के बाद दूसरे स्थान पर फिसल गए। अपनी टी.आर.पी. बढ़ाने के लिए इन टी.वी. चैनलों ने पता नहीं कितने सच्चे-झूठे, नैतिक-अनैतिक समाचार गढ़े और चटकारे लेकर सुनाए और दिखाए। आदमियों के साथ शेर के बच्चों और काले घोड़ों की भी हत्या की दास्तान सुनाई गई। भयभीत हरियाणा सरकार १४ दिनों के बाद ५००० पुलिस और पारा मिलिटरी जवानों, खुदाई करने वाली भारी मशीनों, आधे दर्ज़न मजिस्ट्रेट, न्यायिक अधिकारी, सैकड़ों कर्मचारी, रिटायर्ड जज, स्निफ़र डाग, ताला टोड़ने वाले लोहारों और तरह-तरह के विशेषज्ञों के साथ डेरे पर छापा मारने गई। छापा मारने के लिए १४ दिन का समय क्यों लिया गया, यह भी डेरे के रहस्य से कम रहस्यमय नहीं है। क्या कोई भी अपराधी १४ दिनों तक अपने अपराधों का प्रमाण अपने ही घर में रख सकता है? खैर, छापामारी की गई जिसमें अभी तक जूतों, कपड़ों, टोकन और पटाखों के सिवा कुछ नहीं मिला है। हरियाणा पुलिस जो तलाशी अभियान की मुखिया है, बाबा के सभी सहयोगियों को भगाने में सफल रही। यह समझ के बाहर है कि जो हनीप्रीत बाबा के साथ अदालत में मौजूद थी, हेलिकाप्टर में बाबा के साथ बैठकर रोहतक जेल तक गई वह पुलिस के सामने से फ़रार कैसे हो गई। आज उसे ढूंढ़ने के लिए पुलिस की टीम मुंबई से लेकर नेपाल तक की खाक छान रही है। क्या यह जनता की आंखों में धूल झोंकने के समान नहीं है? इसमें कोई दो राय नहीं कि बाबा राम रहीम बलात्कारी, ढोंगी और अपराधी है लेकिन इसमें भी कोई शक नहीं कि उसकी पहुंच ऊंचे अधिकारियों और राजनीतिक गलियारे तक है। सिरसा की इस घटना ने हरियाणा सरकार की छवि धूमिल की है। मुख्यमंत्री श्री खट्टर भाजपा शासित राज्यों के सबसे कमजोर मुख्यमंत्री सिद्ध हुए हैं। सरकार की लापरवाही और बाबा से मिलीभगत के लिए हरियाणा सरकार पर भी मुकदमा चलना चाहिए।

बिपिन किशोर सिन्हा

B. Tech. in Mechanical Engg. from IIT, B.H.U., Varanasi. Presently Chief Engineer (Admn) in Purvanchal Vidyut Vitaran Nigam Ltd, Varanasi under U.P. Power Corpn Ltd, Lucknow, a UP Govt Undertaking and author of following books : 1. Kaho Kauntey (A novel based on Mahabharat) 2. Shesh Kathit Ramkatha (A novel based on Ramayana) 3. Smriti (Social novel) 4. Kya khoya kya paya (social novel) 5. Faisala ( collection of stories) 6. Abhivyakti (collection of poems) 7. Amarai (collection of poems) 8. Sandarbh ( collection of poems), Write articles on current affairs in Nav Bharat Times, Pravakta, Inside story, Shashi Features, Panchajany and several Hindi Portals.

One thought on “खोदा पहाड़ निकली चुहिया

  • राजकुमार कांदु

    आदरणीय सुंदर व बेबाक लेख के लिए बधाई ! आपने सत्य ही कहा है खट्टर शायद सबसे कमजोर मुख्यमंत्री हैं । अंदरखाने बाबा के बचाव में लगी सरकार जनता को कुछ करते हुए दिखाना चाहती है । सुंदर लेखन के लिए धन्यवाद ।

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