बाल कविता – चुन्नू मुन्नू
चुन्नू मुन्नू पढ़ने जाते रोज़ रोज़ वे उधम मचाते मम्मी पापा जब समझाते सुन कर भूल दुबारा जाते एक दिन एक सिपाही आया मुन्नू को तब बहुत डराया चुन्नू उससे अब घबराया उसने फिर न उधम मचाया — भारत विनय
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