लेख– व्यवस्था की टूटी चारपाई, मीडिया और बाबा
आज की नजाकत में धर्म पर हावी विज्ञान है। फ़िर भी धर्मांधता का चश्मा समाज पर चढ़ा है।
Read Moreआज की नजाकत में धर्म पर हावी विज्ञान है। फ़िर भी धर्मांधता का चश्मा समाज पर चढ़ा है।
Read Moreसचमुच गरीब की जिंदगी एक पान के बीडे की तरह सर्वत्र सुलभ है उसे जब चाहो तब खरीद लो और
Read Moreहो न जाये कही बदनाम मिरे साथ न चल। साथ उछले नहीं ये नाम मिरे साथ न चल। चाहते हम
Read Moreकुछ ही दिन बीते थे, सिमी को अपने मायके आये, लेकिन उसे इस बार का मायका आना,
Read Moreबता तेरे लिए क्या लिख दूँ..? बारिश की गिरती फुहार लिख दूँ, ज़िन्दगी में ना आयी जो बहार लिख दूँ,
Read Moreसताती हैं हमें हर दम,…तुम्हारे प्यार की बातें। कभी इक़रार की बातें, कभी इनकार की बातें। किए क्या ख़ूब तुमने
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