मुक्तक/दोहा

“क़ता”

बह्र- 2221 2221 2221 212, काफ़िया-अते, रदीफ़- आर में

हम भी आ नहीं पाए तिरे खिलते बहार में

तुम भी तो नहीं आए मिरे फलते गुबार में

इक पल को ठहर जाते कभी तुम भी पुकार कर

तो शिकवा न करती डगर बढ़ी ढ़लते किनार में॥

महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी

*महातम मिश्र

शीर्षक- महातम मिश्रा के मन की आवाज जन्म तारीख- नौ दिसंबर उन्नीस सौ अट्ठावन जन्म भूमी- ग्राम- भरसी, गोरखपुर, उ.प्र. हाल- अहमदाबाद में भारत सरकार में सेवारत हूँ