लघुकथा

चुगली

विनीता परेशान थी। अभी अभी बेटे के बोर्डिंग स्कूल के प्रिंसिपल का फोन आया था। वही शिकायत “अनुशासनहीन है अध्यापकों का कहना नहीं मानता है।”
कितना प्रयास किया था उसने कि पिता के दुर्गुण उसमें ना आएं। उसे सबसे महंगे बोर्डिंग स्कूल में भेजा था। लेकिन कोई लाभ नहीं हुआ।
बाहर अपनी समस्या लेकर आए लोगों की भीड़ सभासद महोदया का इंतज़ार कर रही थी।
विनीता ने खुद को आइने में देखा। चेहरे पर एक मुस्कान चिपकाई। लेकिन आँखें चुगली कर रही थीं।
उसने मंहगे सनग्लास आँखों पर चढ़ाए और बाहर निकल गई।

*आशीष कुमार त्रिवेदी

नाम :- आशीष कुमार त्रिवेदी पता :- C-2072 Indira nagar Lucknow -226016 मैं कहानी, लघु कथा, लेख लिखता हूँ. मेरी एक कहानी म. प्र, से प्रकाशित सत्य की मशाल पत्रिका में छपी है