कविता

कविता : एहसास तुम्हारा

कल तक मोहब्बत का एहसास ना था
तुमसे मिलके जाना की क्या होती है मोहब्बत
रोज जीते थे हम मगर कुछ यादे थी कड़वी सी
लगता था मुझे कि मेरा वजूद कुछ नही
तुमने आकर मेरी ज़िंदगी मे
मुझे ज़िन्दगी जीना सीखा दिया
आंखों को बंद करके देखती हूँ
हर रोज मैं एक नया ख्वाब
बस तुम दूर ना जाना कभी
जानती हूं कि मीलो की दूरी है
मगर दिल से नज़दीकियों कभी
खत्म होगी नही
कैसे भूल जाऊँगी मैं
वो प्यार तुम्हारा
और मेरी परवाह करने का हक
आज तक मिला नहीं तुमसा
जो इतनी परवाह करता
सब मतलबी से लगे
मैं शुक्रगुजार हूं उस खुदा की
मेरी ज़िंदगी मे तुम्हारी मौजूदगी यूँ
ही चाहिये।।

— उपासना पाण्डेय (आकांक्षा)

उपासना पाण्डेय

पूर्ण नाम : आकांक्षा पाण्डेय साहित्यिक नाम ; उपासना पाण्डेय जन्मतिथि : 21दिसम्बर 1991 वर्तमान पता: ट्रांजिस्ट हॉस्टल के पीछे आजाद नगर हरदोई शहर : हरदोई जिला: हरदोई राज्य : उत्तर प्रदेश विधा: पद्य (श्रृंगार रस ,रचनाये) गद्य( लघुकथाएं, सामाजिक लेख, कहानियां) ब्लॉग-Upasnamerasafr.blogspot.in