गीतिका/ग़ज़ल

गीतिका : सवाल-ए-जिन्दगी

कितने सैलाब थे तूफान थे इन आँखों में
ये बता तू मेरी इन आँखों में ठहरा कैसे?

इसमें कुछ तेरी खता का भी बड़ा हाथ रहा
मेरी आँखों में न चढता तो उतरता कैसे?

मेरे कंधों की तरफ देख मुझे दाद तो दे
फिर बताऊँगी तुझे जिन्दगी ढोया कैसे?

पूँछती फिरती हूँ हरएक से सवाल यही
हाथ जब थाम लिया उसने तो बिछड़ा कैसे?

देखती रहती हूँ दिनरात तुम्ही को मै सनम
बन्द आँखों से उतर जाता है पर्दा कैसे?

कई रुसवाइयाँ तेरे इश्क में देखी मगर
खुदा का घर भी तू करूँ न मै सजदा कैसे?

नीरू श्रीवास्तव “निराली”

नीरू श्रीवास्तव

शिक्षा-एम.ए.हिन्दी साहित्य,माॅस कम्यूनिकेशन डिप्लोमा साहित्यिक परिचय-स्वतन्त्र टिप्पणीकार,राज एक्सप्रेस समाचार पत्र भोपाल में प्रकाशित सम्पादकीय पृष्ट में प्रकाशित लेख,अग्रज्ञान समाचार पत्र,ज्ञान सबेरा समाचार पत्र शाॅहजहाॅपुर,इडियाॅ फास्ट न्यूज,हिनदुस्तान दैनिक समाचार पत्र में प्रकाशित कविताये एवं लेख। 9ए/8 विजय नगर कानपुर - 208005