गीतिका/ग़ज़ल

“मैंने भी मुस्कुराना छोड़ दिया”

तुमने जब आना जाना छोड़ दिया
मैंने भी मुस्कुराना छोड़ दिया
पहले मिलता जुलता था लोगों से
अब तो मिलना मिलाना छोड़ दिया
पूछती हैं मयखाने की दीवारें
क्या हुआ क्यूं आना-जाना छोड़ दिया
चांद करता रहा मनुहार मुझसे
मैंने लिखना लिखना छोड़ दिया
इश्क से कर लिया तौबा मैंने
गजल अब गुनगुनाना छोड़ दिया

राजेश सिंह

पिता. :श्री राम चंद्र सिंह जन्म तिथि. :०३ जुलाई १९७५ शिक्षा. :एमबीए(विपणन) वर्तमान पता. : फ्लैट नं: ऐ/303, गौतम अपार्टमेंट रहेजा टाउनशिप, मलाड (पूर्व) मुंबई-400097. व्यवसाय. : मुख्य प्रबंधक, राष्ट्रीयकृत बैंक, मुंबई मोबाइल. :09833775798/08369310727 ईमेल. :raj444singhgkp@gmail.com