मुक्तक/दोहा

मुक्तक

सुबह की तरह निकल कर हमें शाम की तरह ढल जाना चाहिए
कोशिश करें कोई हमें बदलने की तो बेशक बदल जाना चाहिए

कुछ चऱाग घुमते हैं अंधेरी गलीयों में प्यार की रोशनी की तलाश मे
कभी कभी किसी को रोशनी देने के लिए खुद जल जाना चाहिए

आकाश राठोड

आकाश राठोड़

SSC लेखक गीतकार गज़ल कविता आकाश राठोड G/o राम मंदीर के पास मुर्ती सोयगांव जिला औरंगाबाद