सामाजिक

टीपू सुल्तान — इंसान या हैवान

पता नहीं कर्नाटक के कांग्रेसी मुख्यमंत्री सिद्धरमैया को शान्त कर्नाटक में अशान्ति उत्पन्न करने और अलगाववाद को हवा देने में कौन सा आनन्द आता है। कभी वे हिन्दी के विरोध में वक्तव्य देते हैं तो कभी कर्नाटक के लिए जम्मू कश्मीर की तर्ज़ पर अलग झंडे की मांग करते हैं। आजकल उन्हें टीपू सुल्तान को राष्ट्रीय नायक और स्वतन्त्रता सेनानी घोषित करने की धुन सवार है। वे राजकीय स्तर पर १० नवंबर को टीपू सुल्तान की जयन्ती मनाने की घोषणा कर चुके हैं। इसमें कोई दो राय नहीं कि टीपू सुल्तान ने इस्ट इंडिया कंपनी के खिलाफ़ युद्ध लड़ा था जिसमें वह मारा गया था। वह युद्ध उसने अपने हितों की रक्षा के लिए लड़ा था न कि भारत की स्वतन्त्रता के लिए। उस समय भारत एक राजनीतिक इकाई था ही नहीं। मात्र इतने से वह राष्ट्रीय नायक नहीं बन जाता। उसने अपने शासन काल में अपनी प्रजा, विशेष रूप से हिन्दुओं पर जो बर्बर अत्याचार किए थे, उन्हें नहीं भुलाया जा सकता। उसके कार्य बाबर, औरंगज़ेब, तैमूर लंग और मोहम्मद गज़नी से तनिक भी कम नहीं थे।

कर्नाटक का कूर्ग जिला दुर्गम पहाड़ियों से घिरा हुआ एक सुंदर और रमणीय पर्यटन स्थल है। इसी जिले के तल कावेरी से पवित्र कावेरी नदी का उद्गम होता है। इस जिले में हजारों मन्दिर थे। कई रमणीय जलप्रपात इसे दर्शनीय बना देते हैं। यहां के निवासी अत्यन्त धार्मिक और संपन्न थे। यहां के निवासियों को कोडवा कहा जाता है। कर्नाटक सरकार द्वारा टीपू सुल्तान की जयन्ती मनाने का यहां सर्वाधिक विरोध होता है क्योंकि टीपू सुल्तान ने वहां के निवासियों के साथ जो बर्बर अत्याचार किए थे, उसके घाव अभी भी नहीं सूखे हैं। टीपू का पिता हैदर अली था जिसने धोखे से मैसूर की सत्ता हड़प ली थी। उसने कूर्ग के हिन्दुओं का सामूहिक नरसंहार किया था। ब्रिटिश इतिहासकार लेविन बावरिंग लिखते हैं – हैदर ने कुर्ग के एक कोडवा के सिर के लिए पांच रुपए का ईनाम घोषित किया था जिसके तुरन्त बाद उसके सामने सात सौ निर्दोष कोडवा हिन्दुओं के सिर प्रस्तुत किए गए। हैदर अली बहुत दिनों तक कूर्ग को अपने नियंत्रण में नहीं रख सका। १७८० में कूर्ग फिर आज़ाद हो गया। लेकिन १७८८ में टीपू सुल्तान ने इसे श्मशान बना दिया। नवाब कुर्नूल रनमस्त खान को लिखे अपने एक पत्र में टीपू ने यह स्वीकार किया है कि कूर्ग के विद्रोहियों को पूरी तरह कुचल दिया गया है। हमने विद्रोह की खबर सुनते ही तेजी से वहां के लिए प्रस्थान किया और ४०,००० कोडवाओं को बंदी बना लिया। कुछ कोडवा हमारे डर से जंगलों में भाग गए जिनका पता लगाना चिड़ियों के वश में भी नहीं है। हमने वहां के मन्दिर तोड़ डाले और सभी ४०,००० बंदियों को वहां से दूर लाकर पवित्र इस्लाम में दीक्षित कर दिया। उन्हें अपनी अहमदी सेना में भर्ती भी कर लिया। अब वे अपनों के खिलाफ़ हमारे लिए लड़ेंगे। टीपू सुल्तान ने कूर्ग के लगभग सभी गांवों और शहरों को जला दिया, मन्दिरों को तोड़ दिया और हाथ आए कोडवाओं को इस्लाम में धर्मान्तरित कर लिया। इतना ही नहीं, उसने बाहर से लाकर ७००० मुस्लिम परिवारों को कूर्ग में बसाया ताकि हमेशा के लिए जनसंख्या संतुलन मुसलमानों के पक्ष में रहे। वहां के हिन्दू आज भी टीपू सुल्तान से इतनी घृणा करते हैं कि गली के आवारा कुत्तों को ‘टीपू’ कहकर पुकारते हैं।

१९७०-८० में सेकुलरिस्टों ने टीपू सुल्तान को सेकुलर और सहिष्णु घोषित करने का काम किया। इस तरह इतिहास को तोड़ा-मरोड़ा गया। उसके पहले कोई मुसलमान भी अपने बच्चे का नाम ‘टीपू’ नहीं रखता था।

टीपू सुल्तान ने अपने १७ वर्ष के शासन-काल में हिन्दुओं पर असंख्य अत्याचार किए। हिन्दुओं को वह काफ़िर मानता था, जिनकी हत्या करना और इस्लाम में लाना, उसके लिए पवित्र धार्मिक कृत्य था जिसे वह ज़िहाद कहता था। कर्नाटक के कूर्ग जिले और केरल के मालाबार क्षेत्र में उसने हिन्दुओं के साथ जो बर्बरता की वह ऐतिहासिक तथ्य है, जिसके लिए किसी नए प्रमाण की आवश्यकता नहीं है। उसने कालिकट शहर को जो मसालों के निर्यात के लिए विश्व-प्रसिद्ध था जलाकर राख कर दिया और उसे भूतहा बना दिया। लगभग ४० वर्षों तक कालिकट गरीबी और भूखमरी से जूझता रहा क्योंकि टीपू सुल्तान ने वहां की कृषि और मसाला उद्योग को बुरी तरह बर्बाद कर दिया था। टीपू सुल्तान ने अपने मातहत अब्दुल दुलाई को एक पत्र के माध्यम से स्वयं अवगत कराया था कि अल्लाह और पैगंबर मोहम्मद की कृपा से कालिकट के सभी हिन्दू इस्लाम में धर्मान्तरित किए जा चुके हैं। कोचिन राज्य की सीमा पर कुछ हिन्दू धर्मान्तरित नहीं हो पाए हैं, लेकिन मैं शीघ्र ही उन्हें इस्लाम धर्म कबूल कराऊंगा, ऐसा मेरा दृढ़ निश्चय है। अपने इस उद्देश्य को मैं ज़िहाद मानता हूं। टीपू सुल्तान ने जहां-जहां हिन्दुओं को हराया वहां के प्रमुख शहरों के नामों का भी इस्लामीकरण कर दिया। जैसे –

ब्रह्मपुरी – सुल्तानपेट, कालिकट – फ़रुखाबाद, चित्रदुर्गा – फ़ारुख-यब-हिस्सार, कूर्ग – ज़फ़राबाद, देवनहल्ली – युसुफ़ाबाद, दिनिगुल – खलीलाबाद,  गुट्टी – फ़ैज़ हिस्सार, कृष्णगिरि – फ़ल्किल आज़म और मैसूर – नज़राबाद। टीपू सुल्तान की मौत के बाद स्थानीय निवासियों ने शहरों के नए नाम खारिज़ कर दिए और पुराने नाम बहाल कर दिए। टीपू सुल्तान ने प्रशासन में भी लोकप्रिय स्थानीय भाषा कन्नड़ को हटाकर फरसी को सरकारी भाषा बना दिया। सरकारी नौकरी में भी उसने केवल मुसलमानों की भर्ती की, चाहे वे अयोग्य ही क्यों न हों।

दक्षिण भारत में हिन्दुओं पर टीपू सुल्तान ने अनगिनत अत्याचार किए। उसने लगभग पांच लाख हिन्दुओं का कत्लेआम कराया, हजारों औरतों को बलात्कार का शिकार बनाया और जनता में स्थाई रूप से भय पैदा करने के लिए हजारों निहत्थे हिन्दुओं को हाथी के पैरों तले रौंदवा कर मार डाला। उसने करीब ८००० हिन्दू मन्दिरों को तोड़ा। उसके शासन-काल में मंदिरों में धार्मिक क्रिया-कलाप अपराध था। हिन्दुओं पर उसने जाजिया की तरह भांति-भांति के टैक्स लगाए।

प्रसिद्ध इतिहासकार संदीप बालकृष्ण ने अपनी पुस्तक – Tipu Sultan : The Tyrant of Mysore में स्पष्ट लिखा है कि इसमें कोई दो राय नहीं कि टीपू सुल्तान दक्षिण का औरंगज़ेब था। जिस तरह औरंगज़ेब ने १८वीं शताब्दी की शुरुआत में दिल्ली और उत्तर भारत में हिन्दुओं पर अमानुषिक अत्याचार किए, उनके हजारों मंदिर गिराए, उसी तरह १८वीं सदी के अन्त में टीपू सुल्तान ने दक्षिण में औरंगज़ेब के कार्यों की पुनरावृत्ति की। जो काम औरंगज़ेब ने अपने ५० साल के लंबे शासन-काल में किया, वही काम टीपू सुल्तान ने धार्मिक कट्टरता और हिन्दू-द्वेष से प्रेरित होकर अपने १७ साल की छोटी अवधि में कर दिखाया। यह बड़े अफसोस और दुःख की बात है कि कर्नाटक की कांग्रेसी सरकार ने तमाम विरोधों के बावजूद टीपू सुल्तान जैसे घोर सांप्रदायिक और निर्दयी शासक की जयन्ती मनाने का निर्णय किया है। इसकी जितनी भी निन्दा की जाय, कम होगी।

बिपिन किशोर सिन्हा

B. Tech. in Mechanical Engg. from IIT, B.H.U., Varanasi. Presently Chief Engineer (Admn) in Purvanchal Vidyut Vitaran Nigam Ltd, Varanasi under U.P. Power Corpn Ltd, Lucknow, a UP Govt Undertaking and author of following books : 1. Kaho Kauntey (A novel based on Mahabharat) 2. Shesh Kathit Ramkatha (A novel based on Ramayana) 3. Smriti (Social novel) 4. Kya khoya kya paya (social novel) 5. Faisala ( collection of stories) 6. Abhivyakti (collection of poems) 7. Amarai (collection of poems) 8. Sandarbh ( collection of poems), Write articles on current affairs in Nav Bharat Times, Pravakta, Inside story, Shashi Features, Panchajany and several Hindi Portals.