कविता

रंगीन दुनिया

 

रंगो से सजी दुनिया भी रंगीन नहीं होती

चेहरे पे ख़ुशी दिल की तस्वीर नहीं होती,

जो हर हाल में उस खुदा का शुक्रगुज़ार हो

दुनिया में ऐसी सबकी तक़दीर नहीं होती,

सबको अपनी गलती का आभास नहीं होता

सबको सही उपदेश पर विश्वास नहीं होता

जो सदा जीते हैं बस अपनी ही मन मर्ज़ी में

उन्हें कभी इंसानियत का अहसास नहीं होता ,

जो रंग बिरंगी चकाचौध से आज़ाद रहता है,

उसूलों की राह पर चलकर नाबाद रहता है,

उसका हर कदम मंज़िल तक ठीक जाता है,

हर हॉल में वह इंसान ज़िंदगी जीना सीख है ,  –जय प्रकाश भाटिया

234/10/2017

जय प्रकाश भाटिया

जय प्रकाश भाटिया जन्म दिन --१४/२/१९४९, टेक्सटाइल इंजीनियर , प्राइवेट कम्पनी में जनरल मेनेजर मो. 9855022670, 9855047845