“मंगलमंगना छंद”
विधान~ [ नगण भगण जगण जगण जगण गुरु] (111 211 121 121 121 2) 16वर्ण,4 चरण, {4,12वर्णों पर यति} दो-दो
Read Moreविधान~ [ नगण भगण जगण जगण जगण गुरु] (111 211 121 121 121 2) 16वर्ण,4 चरण, {4,12वर्णों पर यति} दो-दो
Read Moreवसुधैव कटुम्बकम के आग्रही, नेक नियति के पथ पर चलने वाले झिनकू भैया न जाने कहाँ कहाँ भटकते रहते हैं
Read Moreबाल्मीकि के आश्रम आई, अनुज लखन सिय साथ निभाई माँ सीता पर आँख उठाई, कोशल की चरचा प्रभुताई ।।-1 ऋषी
Read Moreदेश की लोकतांत्रिक राजनीति गाहे-बगाहे किसानों, और अन्य लोगों की चर्चा कर लेती है। भले आखिरी में परिणाम हो, वहीं
Read Moreश्वेत, धवल, उजले आंगन पर मैने, इक कलम कुछ स्याही लेकर, अन्तर्मन के अंतर्द्वंद की भावनाऐं उकेरी है, फिर भी
Read Moreओ३म् ऋषि दयानन्द ने स्वमन्तव्यामन्तव्य प्रकाश में 51 विषय को परिभाषित किया है। इन्हें वह स्वयं भी मानते थे। ऋषि
Read Moreकोई हंसती हुई सूरत नहीं देखी जाती अब तो इस शहर की हालत नहीं देखी जाती रश्क करते हैं सभी
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