कविता

तुम

नदी जैसे बहती अपने में रहती
वैसे बढ़ो तुम अपने में रहो तुम
वृक्ष जैसा अचल है पूर्ण वन में
वैसे अपना मन स्थिर करो तुम
पक्षी जैसे गाते हैं अपना संगीत
वैसे अपनी बात जग में रखो तुम
सागर जैसा गंभीर है असीम है
वीर गंभीर और चंचल बनो तुम
सागर गंभीर चंचलता भी उसमें
सिंधु से असीम अजेय बनो तुम
वायु जैसे बढ़ती सुनिश्चित ओर
वेग की प्रबलता लेकर बढ़ो तुम
हीरा है बनना रवि सा चमकना
तो संघर्ष की ज्वाला में तपो तुम
मैं ये न कहता कि सब जैसे बनो
अपने का ही विस्तार करो तुम
अपनी ही लय में अपनी धुन में
निर्झरणी सम स्वतंत्र बहो तुम

– नवीन कुमार जैन

नवीन कुमार जैन

नाम - नवीन कुमार जैन पिता का नाम - श्री मान् नरेन्द्र कुमार जैन माता का नाम - श्री मती ममता जैन स्थायी पता - ओम नगर काॅलोनी, वार्ड नं.-10,बड़ामलहरा, जिला- छतरपुर, म.प्र. पिन कोड - 471311 फोन नं - 8959534663 वाट्सऐप नं.- 9009867151 ई मेल - naveenjainnj2701@gmail.com शिक्षा- कक्षा 12 वीं (अध्ययनरत) जन्म तिथि- 27/01/2002 प्रकाशन विवरण - स्वरचित पुस्तक - मेरे विचार सम्मान का विवरण- द्रोण प्रांतीय नव युवक संघ द्रोणगिरि प्रतिभा सम्मान चेतना सम्मान मध्यप्रदेश राष्ट्रभाषा प्रचार समिति प्रतिभा प्रोत्साहन पुरस्कार श्रमणोदय जैन अवार्ड 2016 जैन युवा प्रतिभा सम्मान, यंग जैना अवार्ड 2016 प्रतिभा सम्मान और धार्मिक शैक्षणिक शिविर सम्मान एवं अन्य सम्मान प्राप्त हैं संस्थाओं से सम्बद्धता - सदस्य साहित्य संगम संस्थान व अन्य स्थानीय, इंटरनेट की ई साहित्य संस्थाओं से संपर्क । काव्य मंच , मंच पर काव्य पाठ - लगभग 12 वर्ष की उम्र से ही फिल्मी गानों की तर्ज पर भजन रचे जिनकी विभिन्न धार्मिक मंचों पर प्रस्तुति दी । विभिन्न धार्मिक व सामाजिक और विद्यालयीन मंचों पर काव्य पाठ किया है । अन्य विवरण - स्थानीय पत्र - पत्रिकाओं में, ई - पत्रिकाओं में रचनाओं का प्रकाशन होता रहता है । लगभग 3 वर्ष का साहित्यिक अनुभव है वर्तमान में पढ़ाई के साथ - साथ साहित्य सेवा में संलग्न हूँ ।