मुक्तक/दोहा

“मुक्तक”

तलवारों की क्या कहें, जबतक रहती म्यान।

तबतक जग सुंदर लगे, हाथ रहें बेध्यान।

एक बार निकली अगर, म्यानों से करवाल-

रक्त चखे बिन कब गई, कब म्यान कर ध्यान।।-1

चंद्रहास रण की चमक, चाँद चमक आकाश।

दोनों के आकार सम, एक सरीखे ताश।

मर्यादा अनमोल है, दोनों के परिधान-

तेज धार जबजब हुई, तब तब हुआ विनाश।।-2

— महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी

*महातम मिश्र

शीर्षक- महातम मिश्रा के मन की आवाज जन्म तारीख- नौ दिसंबर उन्नीस सौ अट्ठावन जन्म भूमी- ग्राम- भरसी, गोरखपुर, उ.प्र. हाल- अहमदाबाद में भारत सरकार में सेवारत हूँ