कविता

वयस्क होता बचपन

अक्सर …
ट्रैफिक सिग्नल पर ख्वाब बेचते,
ठण्ड में जमे से… अलाव सेंकते!
जूठन से कहीं हैं भूख मिटाते,
फुटपाथ पर जीवन के… सपने सजाते!
कूड़े के ढेर से उम्मीद को चुनते,
अपशब्द – गालियाँ रोज हैं सुनते !
नाजुक हाथों से बोझ उठाते ,
कब मासूम… बड़े बन जाते 😢
धूल, कीचड़, और गंदगी से पटी गलियों में ….
वयस्क होता दिखता है बचपन ! !

अंजु गुप्ता

*अंजु गुप्ता

Am Self Employed Soft Skill Trainer with more than 24 years of rich experience in Education field. Hindi is my passion & English is my profession. Qualification: B.Com, PGDMM, MBA, MA (English), B.Ed

One thought on “वयस्क होता बचपन

  • प्रदीप कुमार तिवारी

    बहुत सुंदर

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