कविता

आँखें

सच और झूंठ बताती आँखें |
शर्म – हया दिखाती आँखें ||

मर जाये आँख का पानी,
कठोर हृदय की पहचान कराती आँखें ||

प्यार – मुहब्बत की पहली सीढ़ी,
शुरूआत कराती आँखें ||

घड़ियाली आंसुओं से
बहुत दुःखी हो जाती आँखें ||

हृदय की तड़प से निकले आंसू,
अमृत बना देती आँखें ||

बड़ी मासूम होती आँखें |
सच और झूंठ बताती आँखें ||

मुकेश कुमार ऋषि वर्मा

नाम - मुकेश कुमार ऋषि वर्मा एम.ए., आई.डी.जी. बाॅम्बे सहित अन्य 5 प्रमाणपत्रीय कोर्स पत्रकारिता- आर्यावर्त केसरी, एकलव्य मानव संदेश सदस्य- मीडिया फोरम आॅफ इंडिया सहित 4 अन्य सामाजिक संगठनों में सदस्य अभिनय- कई क्षेत्रीय फिल्मों व अलबमों में प्रकाशन- दो लघु काव्य पुस्तिकायें व देशभर में हजारों रचनायें प्रकाशित मुख्य आजीविका- कृषि, मजदूरी, कम्यूनिकेशन शाॅप पता- गाँव रिहावली, फतेहाबाद, आगरा-283111