गीतिका/ग़ज़ल

“गीतिका/गज़ल”

आइए जी आज से हम दिल लगाना सीख लें

जाइए मत छोड़कर हँस मुस्कुराना सीख लें

खो गए वो पल पुराने जो हमारे पास थे

पेड़ पीपल और बरगद तर छहाना सीख लें ॥

हर गली कब छाँव जाती धूप कितने पल रहा

रात कैसी भी कटी हो दिन बिताना सीख लें ॥

खो गया क्या आप का कोई खजाना कीमती

बैठिए जी साथ में फिर से कमाना सीख लें॥

छोड़िए उस नूर को जो जा गिरा बेनूर हो

बेअदब बे आबरू को अब भुलाना सीख लें॥

रोक भी अब लीजिये अपनी सवारी छाँव में

उड़ रही इस जुल्फ पर आँचल सजाना सीख लें॥

साथ “गौतम” के रहेंगे इस उफनती धूप में

हर हवा को मोड़ कर अब घर बसाना सीख लें॥

महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी

*महातम मिश्र

शीर्षक- महातम मिश्रा के मन की आवाज जन्म तारीख- नौ दिसंबर उन्नीस सौ अट्ठावन जन्म भूमी- ग्राम- भरसी, गोरखपुर, उ.प्र. हाल- अहमदाबाद में भारत सरकार में सेवारत हूँ