कविता

हाथ वाला पंखा

तुम….
हमें वादों में उलझा कर
बेवकूफ़ बना कर
ख़ुश होते हो
और इतराते हो
अपने चहेतों के बीच
सीना फुलाते हो
अपनी
सियासी समझ पर
इस उमस भरी रात में
अपने दुधमुँहे को लेकर
रात दो बजे तक
बैठती हूँ छत पर
लाइट के इंतज़ार में
दिन भर की थकी
ऊँघती हुई
झलती हूँ
हाथ वाला पंखा
इसलिये कि चैन से
सोता रहे मेरा बच्चा
उधर ए सी में
ऐश करते हो तुम
और तुम्हारे बच्चे
मुझे याद है
चुनाव के समय
तुमने की थी
विकास की बातें
बराबरी की बातें
और समझाया था
कि बटन वही दबाना
जिसके सामने बना हो
“हाथ वाला पंखा”

प्रवीण श्रीवास्तव ‘प्रसून’

प्रवीण श्रीवास्तव 'प्रसून'

नाम-प्रवीण श्रीवास्तव 'प्रसून' जन्मतिथि-08/03/1983 पता- ग्राम सनगाँव पोस्ट बहरामपुर फतेहपुर उत्तर प्रदेश पिन 212622 शिक्षा- स्नातक (जीव विज्ञान) सम्प्रति- टेक्निकल इंचार्ज (एस एन एच ब्लड बैंक फतेहपुर उत्तर प्रदेश लेखन विधा- गीत, ग़ज़ल, लघुकथा, दोहे, हाइकु, इत्यादि। प्रकाशन: कई सहयोगी संकलनों एवं पत्र पत्रिकाओ में। सम्बद्धता: कोषाध्यक्ष अन्वेषी साहित्य संस्थान गतिविधि: विभिन्न मंचों से काव्यपाठ मोबाइल नम्बर एवम् व्हाट्सअप नम्बर: 8896865866 ईमेल : praveenkumar.94@rediffmail.com