कविता

पहले जैसी बात कहाँ 

रह   गए  रीते संबंध  सभी
वो   पहले  सा  आभास कहाँ
अपनत्व   लिए    संबंध  नहीं
वो स्नेह  भरा  मधुमास  कहाँ।।

रहते   हैं  सब अपने – अपने
ना  एक दूजे  से  लगाव रहा
इच्छाओं  का  मानव बोझ लिए
बस  रूपए   पीछे  भाग रहा।।

है  होड  शिखर तक जाने  की
चुने   राह   बडी सुगम  सरल
रोटी मेहनत  की   हजम  नहीं
कर्म  बुरे  करता  पल – पल।।

मन   के  अँदर  है द्वेष  भरा
करता   बाहर   मीठी   बतियाँ
मानव  का  यही अब  रूप बना
छल  रंग से  रंगी पडी  दुनिया।।

संयम  ना रहा  किसी में  तनिक
सब आपाधापी   में  शामिल  हैं
बचा  ना  ईमान और  धर्म कहीं
रिश्ते  छलते  यहाँ पल- पल हैं।।

कोई  करता  नहीं   मनुहार  यहाँ
सब कुछ देखो है सिमट सा गया
क्या  देश ये क्या  घर का अँगना
हिस्सों में कई देखो बँट सा गया।।

हो   सबमें  एक  अपनासा  पन
पुन:  भाव जनित  करना  होगा
रख  ईर्ष्या,  द्वेष  को   परे कहीं
मन   प्रेम  – भाव  भरना होगा।।

लक्ष्मी थपलियाल.
देहरादून,उत्तराखंड

लक्ष्मी थपलियाल

पिता का नाम :- श्री गिरीश प्रसाद गौड माता का नाम:-श्रीमती मीना गौड जन्म तिथि:- २-६-१९७८ जन्म स्थान:-देहरादून,उत्तराखंड शिक्षा:-पोस्ट ग्रेजुएट समाजशास्त्र विषय से व्यवसाय:-स्व व्यवसाय मोबाइल न. ८९५८९३३३३५

One thought on “पहले जैसी बात कहाँ 

  • राजकुमार कांदु

    वाह ! अति सुंदर अभिव्यक्ति लक्ष्मी जी !

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