गप्पू बंदर था बदमाश
काम एक था उसका खास
चुरा-चुरा के खाता आम
करता औरों को बदनाम
सब पशुओं ने की तब राय
मिलकर सोचा एक उपाय
गधा कैमरा लाया भाग
उसे लगाया फल के बाग
गप्पू जब आया उस रात
उसको पता न थी ये बात
हुई रिकॉर्डिंग, गप्पू चोर
कह दौड़े सब उसकी ओर
जम के पड़ी, खिंचाये कान
सुधर गया गप्पू शैतान
अगले दिन ही खोली शॉप
लगा बेचने आलू चॉप
— कुमार गौरव अजीतेन्दु

परिचय - कुमार गौरव अजीतेन्दु
शिक्षा - स्नातक, कार्यक्षेत्र - स्वतंत्र लेखन, साहित्य लिखने-पढने में रुचि, एक एकल हाइकु संकलन "मुक्त उड़ान", चार संयुक्त कविता संकलन "पावनी, त्रिसुगंधि, काव्यशाला व काव्यसुगंध" तथा एक संयुक्त लघुकथा संकलन "सृजन सागर" प्रकाशित, इसके अलावा नियमित रूप से विभिन्न प्रिंट और अंतरजाल पत्र-पत्रिकाओंपर रचनाओं का प्रकाशन
- Web |
- More Posts(104)